वो कुछ तो मुझसे छुपा रहा है
नयी कहानी बना रहा है
जो शख्स मेरा खुदा रहा था
मेरी खुदी को मिटा रहा है
मैं खुद को कब से बचा रहा हूँ
वो शाख कब से हिला रहा है
शराब सोच के पी रहा हूँ
ज़हर वो मुझको पिला रहा है
मैं अब भी थोड़ा सुलग रहा हूँ
वो राख मेरी उड़ा रहा है