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Tuesday, April 22, 2008

नयी कहानी

वो कुछ तो मुझसे छुपा रहा है
नयी कहानी बना रहा है

जो शख्स मेरा खुदा रहा था
मेरी खुदी को मिटा रहा है

मैं खुद को कब से बचा रहा हूँ
वो शाख कब से हिला रहा है

शराब सोच के पी रहा हूँ
ज़हर वो मुझको पिला रहा है

मैं अब भी थोड़ा सुलग रहा हूँ
वो राख मेरी उड़ा रहा है

Monday, April 7, 2008

dard (chhoti nazm)

dard...
hota nahin hai ab..
ya shaayd
dard ki aadat ho gayee hai!!