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Saturday, August 24, 2013

जातक कथाएँ -1

-बहुत पहले की बात है
-छिपकलियों का एक झुण्ड हुआ करता था.
-वो सब खुद को बाकी छिपकलियों से उच्च दर्जे का और अलग समझती थीं.
-वैसे वो उन्ही दीवारों पर रेंगती थीं जिन पर बाकी 'मूर्ख' छिपकलियाँ रेंगती थीं.
-उन्हें लगता था दीवार उनके पैरों पर टिकी हुई है.
-वो सोचती थीं, वो हट गयीं तो दीवार गिर जायेगी.
-समय बदला
-वो छिपकलियाँ खुद को क्रांतिकारी मानने लगीं.
-अब छिपकलियों के उस झुण्ड को 'कम्युनिस्ट्स' के नाम से जानते हैं.

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