एक जंगल में एक शेर हुआ करता था. जंगल में लोकतंत्र था. जंगल के अन्य जानवर बरसों से वोट देकर उसी शेर के परिवार के सदस्य को राजा चुनते थे. इस प्रकार वो भी राजा था. चूँकि लोकतंत्र में सबको बराबरी का हक होता है, हर जानवर किसी भी जानवर को मार के खा सकता था. गीदड़ चाहे तो हाथी को मार के खा ले और बिल्ली चाहे तो शेर को. कोई रोक-टोक नहीं थी. हाँ शेर चूँकि राजा था तो उसे शिकार करना नहीं पड़ता था, उसके लिए स्वयं किसी जानवर को बलि देनी पड़ती थी. और जैसा कि लोकतंत्र में होता है, सब स्वेच्छा से उस शेर के लिए बलि देते थे. किसी को बलि देने में कष्ट होता तो राजा के सैनिक बलि देने में उसकी मदद भी करते थे. लोकतंत्र था, सबकी बारी बंधी हुई थी.
एक दिन एक बूढ़े खरगोश ने जो विपक्षी दल का था, संसद में ही घोषणा कर दी कि वो राजा के लिए स्वयं की बलि देगा. अफरा-तफरी मच गयी. सब जानते थे वो खरगोश बहुत बुद्धिमान है. कुछ लोगों ने तो साजिश को सूंघ भी लिया. मीडिया वाले उसकी तरफ दौड़े. टी वी पर उसके इंटरव्यू आने लगे. खरगोश ने अगले दिन सुबह ग्यारह बजे का टाइम घोषित कर दिया था.
अगला दिन हुआ. टी वी के कैमरे चारों तरफ लगे थे. सारा प्रोग्राम लाइव टी वी पर आ रहा था.मगर खरगोश गायब! एक घंटा बीता, दो घंटा बीता, धीरे-धीरे शाम हो गयी. खरगोश गायब. शेर को ये बात जंची नहीं. उसे गुस्सा भी आ रहा था. खरगोश के चक्कर में वो सारे दिन भूखा रहा था. और से लग रहा था विपक्षी दल के उस खरगोश ने उसे बेवकूफ बनाया. अभी वो सैनिकों को आदेश देने ही वाला था कि सामने से खरगोश आता हुआ दिखा. उसे देखते ही शेर दहाड़ा, गुस्से में भर कर खरगोश के गायब होने का कारण पूछा. खरगोश ने बताया- कि "एक दूसरा शेर जंगल में आ गया है जो सारे खरगोशों को खा जा रहा है और मैं किसी तरह बच-बचा कर आया हूँ." शेर को ये सुन कर बहुत गुस्सा आया. उसने खरगोश से उस दुसरे शेर का पता पूछा. खरगोश ने उसे एक कुँए का पता बताया.
शेर अपने सैनिकों के साथ उस खरगोश को लेकर उस कुएं तक पहुंचा. वहां कोई नहीं दिखा. शेर ने फिर पूछा तो खरगोश ने बताया कि दूसरा शेर कुएं के अन्दर घात लगा कर बैठता है. शेर समझ गया. उसने कुएं में झाँक कर देखा. वहाँ पानी में उसे अपनी परछाईं दिखी. उसने कहा- " मैं तुम्हारी कड़ी निंदा करता हूँ. आगे ऐसा किया तो सख्त कार्यवाही की जायेगी" ऐसा कहकर वो मुड़ा और खरगोश को मार कर खा गया.
एक दिन एक बूढ़े खरगोश ने जो विपक्षी दल का था, संसद में ही घोषणा कर दी कि वो राजा के लिए स्वयं की बलि देगा. अफरा-तफरी मच गयी. सब जानते थे वो खरगोश बहुत बुद्धिमान है. कुछ लोगों ने तो साजिश को सूंघ भी लिया. मीडिया वाले उसकी तरफ दौड़े. टी वी पर उसके इंटरव्यू आने लगे. खरगोश ने अगले दिन सुबह ग्यारह बजे का टाइम घोषित कर दिया था.
अगला दिन हुआ. टी वी के कैमरे चारों तरफ लगे थे. सारा प्रोग्राम लाइव टी वी पर आ रहा था.मगर खरगोश गायब! एक घंटा बीता, दो घंटा बीता, धीरे-धीरे शाम हो गयी. खरगोश गायब. शेर को ये बात जंची नहीं. उसे गुस्सा भी आ रहा था. खरगोश के चक्कर में वो सारे दिन भूखा रहा था. और से लग रहा था विपक्षी दल के उस खरगोश ने उसे बेवकूफ बनाया. अभी वो सैनिकों को आदेश देने ही वाला था कि सामने से खरगोश आता हुआ दिखा. उसे देखते ही शेर दहाड़ा, गुस्से में भर कर खरगोश के गायब होने का कारण पूछा. खरगोश ने बताया- कि "एक दूसरा शेर जंगल में आ गया है जो सारे खरगोशों को खा जा रहा है और मैं किसी तरह बच-बचा कर आया हूँ." शेर को ये सुन कर बहुत गुस्सा आया. उसने खरगोश से उस दुसरे शेर का पता पूछा. खरगोश ने उसे एक कुँए का पता बताया.
शेर अपने सैनिकों के साथ उस खरगोश को लेकर उस कुएं तक पहुंचा. वहां कोई नहीं दिखा. शेर ने फिर पूछा तो खरगोश ने बताया कि दूसरा शेर कुएं के अन्दर घात लगा कर बैठता है. शेर समझ गया. उसने कुएं में झाँक कर देखा. वहाँ पानी में उसे अपनी परछाईं दिखी. उसने कहा- " मैं तुम्हारी कड़ी निंदा करता हूँ. आगे ऐसा किया तो सख्त कार्यवाही की जायेगी" ऐसा कहकर वो मुड़ा और खरगोश को मार कर खा गया.
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